गया जी (बिहार): राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा द्वारा हर शनिवार रात्रि 8.00 से 9.00 बजे तक आयोजित होने वाले साप्ताहिक ऑनलाइन कार्यक्रम “शब्दवीणा सृजन त्रिविधा” में इस बार गया जिले के कई रचनाकारों ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
गत शनिवार के विशेष सत्र में आमंत्रित रचनाकारों के रूप में शब्दवीणा की गया जिला उपाध्यक्ष कवयित्री अनामिका अनु, अतरी, गया जी के कवि नरेंद्र सिंह, एवं शब्दवीणा जहानाबाद जिला सचिव चितरंजन चैनपुरा सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संयोजन शब्दवीणा की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्षा डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने किया।
कार्यक्रम का संचालन नव-नियुक्त शब्दवीणा सृजन त्रिविधा प्रभारी और हरियाणा प्रदेश समिति की सक्रिय सदस्य कवयित्री कीर्ति यादव ने अत्यंत कुशलता से किया। उन्होंने अपने मधुर स्वर में “कितनी सुंदर अयोध्या की नगरी, देखने को ये जी चाहता है” गीत प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं का मन मोह लिया।
कवयित्री अनामिका अनु की प्रसिद्ध पंक्तियाँ —
“यूँ ही नहीं जहां को लुभाती हैं बेटियाँ,
खुशियों के फूल दिल में खिलाती हैं बेटियाँ।”
— ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रोताओं का हृदय जीत लिया।
उन्होंने चुनाव, वोट, नेताओं की कूटनीतियाँ, कार्तिक माह और तुलसी पूजन जैसे सामाजिक व सांस्कृतिक विषयों पर भी प्रभावशाली रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
राष्ट्रीय अध्यक्षा डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिससे देश के विभिन्न राज्यों से साहित्य प्रेमियों ने जुड़कर कार्यक्रम का आनंद लिया।
इस लाइव सत्र में राम नाथ बेख़बर, डॉ. रामसिंहासन सिंह, पी. के. मोहन, सरोज कुमार, कर्नल गोपाल अश्क, अरुण अपेक्षित, अनंग पाल सिंह भदौरिया, महेश चंद्र शर्मा राज, केविन सिंह, विनोद बरबिगहिया, रजनी रंजन, नित्यानंद मिश्रा, और सरिता महेंद्र शर्मा सहित देशभर के अनेक साहित्यानुरागी सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम ने साहित्य प्रेमियों को एक साथ जोड़ते हुए भारतीय कविता और संस्कृति की गरिमा को एक बार फिर उजागर किया।
रिपोर्ट: विश्वनाथ आनंद.
